गर्म रात... और एक खतरनाक खेल

 कहानी: "गर्म रात... और एक खतरनाक खेल"

अध्याय 1: अनजान आग्रह

रिया एक सफल बिजनेसवुमन थी, लेकिन उसकी निजी ज़िंदगी बेहद उबाऊ थी। उसका बॉयफ्रेंड, कबीर, हमेशा काम में व्यस्त रहता था। एक रात, क्लब में अपनी गर्ल्स गैंग के साथ पार्टी करते हुए, उसकी मुलाकात विक्रम से हुई—एक रहस्यमय, खतरनाक किस्म का आदमी, जिसकी आँखों में एक अलग ही आग थी।

वह उसके पास आकर बोला, "तुम्हारी आँखें कहती हैं... तुम कुछ और चाहती हो। शायद वो चीज़ मैं दे सकता हूँ।"

रिया ने हँसते हुए कहा, "और अगर मैं कुछ ऐसा चाहूँ जो तुम्हारी हिम्मत से भी बाहर हो?"

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और अपने होठों के पास ले जाकर कहा, "मैं हिम्मत वालों का खेल खिलाता हूँ... डरती हो?"


अध्याय 2: खतरनाक गेम

विक्रम ने रिया को अपने पेंटहाउस पर आमंत्रित किया। जैसे ही वह अंदर गई, उसने देखा कि कमरा काली रोशनी से जगमगा रहा था, और बीच में एक बड़ा सा काला बॉक्स पड़ा था।

"ये क्या है?" रिया ने पूछा।

विक्रम मुस्कुराया, "एक गेम... अगर तुम जीत गई, तो मैं तुम्हें वो दूंगा जो तुम चाहती हो। हार गई, तो तुम्हें एक कीमत चुकानी होगी।"

रिया ने चुनौती स्वीकार कर ली।

विक्रम ने बॉक्स खोला—अंदर एक श्रृंखला, आँखों पर पट्टी और एक छोटी सी चाबी थी।

"तुम्हें 10 मिनट में इस चाबी से अपनी कलाई की ज़ंजीर खोलनी है... नहीं तो..." उसने रिया के कान में फुसफुसाया, "तुम मेरी हो जाओगी।"


अध्याय 3: जुनून की कीमत

रिया की आँखों पर पट्टी बंधी, हाथ ज़ंजीर से बंधे। वह चाबी को अपने पैरों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन विक्रम उसे रोकता। वह उसके गर्दन पर होंठ फेरते हुए बोला, "समय कम है... और तुम्हारी साँसें तेज़ हो रही हैं।"

आखिरी मिनट में, रिया ने चाबी पकड़ी और ताला खोल दिया!

विक्रम ने उसकी पट्टी खोली और कहा, "तुम जीत गई... अब बताओ, तुम क्या चाहती हो?"

रिया ने उसके कॉलर पकड़े और जवाब दिया, "अब मैं तुम्हारे साथ वो करना चाहती हूँ जो तुम मेरे साथ करने वाले थे..."

अंत: एक नया खेल शुरू होता है

अगली सुबह, रिया ने कबीर को मैसेज किया: "हम खत्म हो गए हैं।"

विक्रम ने पूछा, "अब क्या?"

रिया मुस्कुराई, "अब तुम मेरे हो... और मैं तुम्हारी। पर ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ।"

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